उत्तराखंड: गर्मियां आते ही फायर सीजन भी शुरू हो जाती है. जहां एक ओर फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर घर, दुकानों आदि में लगने वाली आग भी एक बड़ी चुनौती है. ऐसे में आग पर काबू पाने में अग्निशमन विभाग की गाड़ियां काफी अहम भूमिका निभाती हैं. जिसे देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने निर्णय लिया है कि फायर मैन को विश्व स्तर का प्रशिक्षण मिल सके, इसके लिए प्रदेश में विश्वस्तरीय फायर सर्विस का प्रशिक्षण केंद्र बनाया जाएगा. इसके साथ ही सहस्त्रधारा समेत पांच स्थानों पर जल्द ही नए फायर स्टेशन खोले जाएंगे.
दरअसल, देहरादून स्थित पुलिस लाइन में अग्निशमन सेवा सप्ताह का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तृतीय ऑल इंडिया फायर सर्विस गेम्स के दौरान पदक जीतने वाले 7 और गृह मंत्रालय भारत सरकार के डीजीएफएस डिस्क मेडल विजेता 2 अग्निशमन कर्मियों को सम्मानित किया. इसके अलावा सीएम आमी ने उत्तराखंड फायर सर्विस में शामिल हुए 20 नए फायर टैंडरों और अग्निशमन वाहनों को जन-जागरूकता के लिए हरी झंडी भी दिखाई.
वहीं, सीएम धामी ने तमाम घोषणाएं भी की. सीएम धामी ने कहा कि भीमताल, द्वाराहाट, गौचर, पुरोलाऔर सहस्त्रधारा में जल्द ही फायर स्टेशन खोला जाएगा. फायर सर्विस का विश्वस्तरीय प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जाने और प्रयागराज महाकुंभ में ड्यूटी कर अपना कर्तव्य निभाने वाले उत्तराखंड फायर सर्विस के सभी कर्मचारियों को 10-10 हजार रुपए बतौर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.
सीएम ने कहा कि उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा के जवानों ने उत्तराखंड राज्य गठन से अभी तक 53 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्तियों को आग से बचाया है. इसके साथ ही 27 हजार से ज्यादा इंसानों और करीब 7 हजार पशुओं का जीवन भी बचाया है. वर्तमान समय में महिलाएं भी उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा में फायर फाइटर के रूप में अपना योगदान दे रही हैं.
सीएम धामी ने कहा कि केंद्र सरकार ने उत्तराखंड अग्निशमन एवं आपात सेवा के लिए 71 करोड़ रुपए की धनराशि स्वीकृत की है, जिसके चलते प्रदेश में 18 फायर स्टेशनों का निर्माण और फायर इमरजेंसी से निपटने के लिए विश्वस्तरीय उपकरणों को खरीदने के प्रयास चल रहे हैं. अग्निशमन कर्मियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने विश्वस्तरीय गुणवत्ता के फायर सूट भी खरीदे हैं.
प्राकृतिक आपदाओं के दौरान अग्निशमन एवं आपात सेवा की भूमिका और काफी अहम हो जाती है. पिछले साल केदारनाथ, टनकपुर, खटीमा, आराकोट और रैणी में आई आपदाओं में फायर सर्विस के कर्मचारियों ने लगन और समर्पण के साथ अपना कार्य किया था. उन्होंने कहा कि पिछले साल वनाग्नि के दौरान वन संपदा, वन्य जीवों और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा था, ऐसी आपदा दोबारा न हो, इसके लिए वन विभाग के साथ ही अग्निशमन विभाग को भी कार्य करना होगा.