उत्तराखंड: सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने के लिए सरकार तमाम प्रयास कर रही है. जहां एक ओर राज्य सरकार स्कूलों को आधुनिक बनाए जाने के लिए क्लस्टर योजना पर काम कर रही है तो वहीं दूसरी ओर प्रदेश के तमाम सरकारी स्कूलों में व्यवस्थाओं को बेहतर करने के लिए गोद लेने की प्रक्रिया का भी रोडमैप तैयार किया है.
इसी कड़ी में राजभवन में ‘भविष्य के लिए तैयार स्कूलों के निर्माण’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जहां सरकारी स्कूलों में आधुनिकीकरण और बेहतर शैक्षणिक वातावरण के लिए सीएसआर निधि से होने वाले विकास के लिए शिक्षा विभाग व तमाम उद्योग जगत के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए.
इस कार्यक्रम में शिक्षा विभाग ने आईजीएल, रिलैक्सो फुटवियर, कन्विजीनियस, ताज ग्रुप और गोंडवाना रिसर्च के साथ समझौता ज्ञापन यानी एमओयू पर साइन किए. राज्य सरकार की ओर से शिक्षा के आधुनिकीकरण और बेहतर शैक्षणिक वातावरण देने के लिए उद्योग जगत के साथ मिलकर एक नई पहल शुरू की गई है. जिसके तहत प्रदेश के 550 राजकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में ये पहल शुरू की जा रही है.
इसमें ज्यादातर विद्यालय पर्वतीय क्षेत्र के शामिल किए गए हैं. ताकि, विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बीच स्थित इन विद्यालयों में सीएसआर फंड (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) से अवस्थापना सुविधाओं के साथ मॉडल क्लास रूम, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, पुस्तकालय, फर्नीचर, शौचालय, खेल सामग्री, खेल मैदान और चारदीवारी समेत अन्य सुविधाओं से लैस किया जा सके.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड के 550 सरकारी विद्यालयों को देश के प्रतिष्ठित उद्योग समूहों और प्रवासी उत्तराखंडियों की ओर से गोद लिया जा रहा है. शैक्षणिक इतिहास में यह एक ऐतिहासिक निर्णय है, जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा.
इसके तहत स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम, पुस्तकालय, विज्ञान प्रयोगशालाएं, खेल सामग्री, स्वच्छ शौचालय, कंप्यूटर लैब जैसी आधुनिक सुविधाओं को विकसित किया जाएगा. सीएम धामी ने कहा कि राज्य में बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए हर विकासखंड के 10वीं और 12वीं के मेधावी छात्रों को भारत भ्रमण पर भेजने की शुरुआत भी की गई है.
राज्य में पहली बार 12वीं के व्यावसायिक छात्रों के लिए रोजगार मेलों का आयोजन किया गया, जिसके जरिए 146 बच्चों का बड़ी कंपनियों में चयन भी हुआ है. उन्होंने बताया ‘हमारी विरासत’ पुस्तक के माध्यम से कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को भारत की संस्कृति, लोक परंपरा और देश प्रदेश की महान विभूतियों से परिचित कराने का काम भी किया जा रहा है.