शिक्षक केवल गणित का फार्मूला और इतिहास की तारीख ही नहीं सिखाते, बल्कि बच्चों को अनुशासन का पाठ भी पढ़ाते हैं. एक अच्छा शिक्षक 1000 लाइब्रेरी के बराबर होता है. शिक्षक दिवस पर शुक्रवार को जयपुर के बिड़ला सभागार में प्रदेश स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने ये बात कही. उन्होंने कहा कि गुरु व्यक्तित्व को गढ़ने का काम करता है. समाज के उत्थान में सबसे पहला योगदान गुरु का है. गुरु जीवन के मार्गदर्शक होते हैं. सबसे ज्यादा योगदान प्राइमरी और मिडिल एजुकेशन के शिक्षक का ही होता है. शिक्षक सम्मान के इस मंच पर स्टेट ओपन स्कूल की ‘ऑन डिमांड परीक्षा’ और सरकारी स्कूलों के लिए ‘प्रखर 2.0’ कार्यक्रम भी लॉन्च किया गया.
समारोह में कुल 75 शिक्षकों को सम्मानित किया गया. इनमें कक्षा 1 से 5, कक्षा 6 से 8 और कक्षा 9 से 12 के 22-22 शिक्षकों का चयन किया गया. एनआईसी में पोस्टेड नौ शिक्षकों को भी उल्लेखनीय कार्यों के लिए सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री प्रेम चंद बैरवा, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर और शिक्षा सचिव कृष्ण कुणाल सहित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे. कार्यक्रम की शुरुआत झालावाड़ के जर्जर स्कूल में हुए हादसे में जान गंवाने वाले 7 बच्चों की स्मृति में मौन रखकर श्रद्धांजलि देने से की गई.
मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि कोरिया और जापान के विदेश दौरे के दौरान वहां पर मैन पावर की जरूरत बताई गई. तब उन्होंने पहले भाषायी स्कूल राजस्थान में खोलने की बात कही, ताकि विदेश में नौकरी के लिए भाषा का ज्ञान हो सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि युवा अपने प्रोजेक्ट पर काम करेंगे तो सरकार कम ब्याज पर लोन देगी. इस दौरान सीएम ने ये भी कहा कि हमारे संस्कार आने वाली पीढ़ी को ऐसे ही मिलेंगे, तो राजस्थान की खुशबू पूरी दुनिया में महकेगी. सीएम ने छात्रों की रुचि के अनुसार उन्हें विषय चयन करवाने की व्यवस्था करने की भी बात कही.
शिक्षा मंत्री दिलावर ने सरकारी स्कूलों के रिजल्ट का हवाला देते हुए कहा कि आज कोटा, अजमेर, बांसवाड़ा, बाड़मेर सहित 18 जिले ऐसे हैं, जहां सरकारी स्कूल का रिजल्ट निजी स्कूलों की तुलना में बेहतर है. मंत्री दिलावर ने बताया कि अब शिक्षा विभाग में सिर्फ स्वदेशी वस्तुओं का ही उपयोग किया जा रहा है.
उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा ने कहा कि शिक्षक अंधकार से रोशनी की तरफ ले जाता है. आज हम जहां हैं, उसमें शिक्षक की बड़ी भूमिका है. जिस पर गुरु कृपा नहीं, वह पीछे रह जाता है. उन्होंने कहा कि उनका फोकस डिग्रियों पर नहीं, बल्कि दक्षता बढ़ाने पर है. लक्ष्य है कि उच्च शिक्षा और तकनीकी शिक्षा के माध्यम से राजस्थान के छात्रों को वैश्विक मंच मिले. हालांकि, पत्रकारों से रूबरू होते समय डिप्टी सीएम बैरवा एनआईआरएफ (NIRF) रैंकिंग में राजस्थान के प्रदर्शन और सरकारी विश्वविद्यालयों के नाम नहीं आने के सवाल पर चुप्पी साधे रहे.