राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में देश भर में शुक्रवार को कई कार्यक्रम आयोजित किए गए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साल तक चलने वाले कार्यक्रम का शुभारंभ किया. देश के 150 प्रमुख स्थानों पर वंदे मातरम का सामूहिक गायन हुआ. इसी कड़ी में शुक्रवार को राजस्थान में 10 जिला मुख्यालय पर “वंदे मातरम” का गायन किया गया. राज्य स्तरीय समारोह जयपुर के एसएमएस स्टेडियम में हुआ.
समारोह में 50,000 लोगों ने एक साथ वंदे मातरम गाया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और अध्यक्षता भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने की. सीएम भजन लाल और अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि ये सिर्फ गीत नहीं बल्कि राष्ट्र की पहचान, गौरव का शाश्वत प्रतीक है. सीएम ने युवाओं से तीन बातों को याद रखने का आह्वान किया. यह गीत बंकिमचंद्र चटर्जी ने 7 नवंबर 1875 को अक्षय नवमी के दिन लिखा था. इसे रवींद्रनाथ टैगोर ने 1896 में कांग्रेस के कोलकाता अधिवेशन में पहली बार गाया था. 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसे राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया.
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि वंदे मातरम आजादी की लड़ाई लड़ने वालों का युद्ध क्रांतिकारियों का सूत्र बना. वंदे मातरम आजादी से लेकर अब तक हर आंदोलन में जुबान पर रहा है. जब हम 150 वर्षों का इतिहास उत्सव मना रहे हैं तो युवाओं से आह्वान है कि हमारे इतिहास को जानें. युवा भारत का भविष्य, राष्ट्र के आशा है. इस विरासत संरक्षक हैं. इसलिए जानना जरूरी है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने जब आजाद हिंद फौज की अंतरिम सरकार की घोषणा की थी तब उन्होंने वंदे मातरम गया था. क्रांतिकारी जब फांसी के तख्ते पर चढ़ते थे, तब उनके होठों पर वंदे मातरम होता था. वंदे मातरम आजादी का प्रतीक बन चुका था, जिससे अंग्रेज भयभीत हो गए थे. इस गायन को सार्वजनिक गाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
मुख्यमंत्री शर्मा ने युवाओं से कहा कि उन्हें तीन बातों का जानकारी होनी चाहिए. पहली बात – वो इतिहास को जानिए. जब तक आप अपने स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को नहीं जानेंगे, तब तक आप आजादी के मूल्यों को नहीं समझ पाएंगे. वंदे मातरम का इतिहास जानिए इसके हर शब्द का अर्थ समझाइए. दूसरी बात – राष्ट्र प्रेम को जीवित रखे. आज सोशल मीडिया पर विदेशी संस्कृति हावी हो रही है, उस समय हमें अपने जड़ों से जुड़ा रहना होगा. वंदे मातरम को अपने दिल में बसाना है. तीसरी बात – देशभक्ति को कर्म में बदलना है, केवल नारे लगाना काफी नहीं है. अपने कर्तव्य का ईमानदार से पालन करें, देश को आगे बढ़ाने में योगदान दें. युवा देश की भविष्य का निर्माता है इसलिए उन्हें इन तीनों बातों का ध्यान रखना है. राजस्थान के हर स्कूल – कॉलेज में वंदे मातरम की भावना को समझा जाए. उन्हें एक-एक शब्द के बारे में जागरूक किया जाए. राज्य सरकार इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगी.
इस मौके परमदन राठौड़ ने कहा कि हम चाहते हैं कि प्रत्येक नागरिक इसका गायन करे. अभियान के जरिए देशवासियों के बीच राष्ट्रभक्ति का जज्बा पैदा होना चाहिए. भाव हमारे हैं लेकिन ये राष्ट्रीय कार्यक्रम है. ये एक आह्वान बनना चाहिए. राठौड़ ने कहा कि आज जिस प्रकार का हिंदुस्तान में देशभक्ति का सैलाब उमड़ा है. देश का हर नागरिक देशभक्ति से ओतप्रोत है. यह राजनीतिक निरपेक्ष कार्यक्रम है. इस अभियान को हमें जागृति अभियान के रूप में मानना है. 1875 का खास महत्व है, इस दौर में कई महानुभाव पैदा हुए, जिन्होंने देशभक्ति और देश को आजाद करने में योगदान दिया. सरदार वल्लभभाई पटेल उनका जन्म भी 31 अक्टूबर 1875 में हुआ. भगवान बिरसा मुंडा का जन्म भी 15 नवंबर 1875 में हुआ. तीसरा जो आज का हम कार्यक्रम मना रहे हैं. इस राष्ट्रगीत को भी 7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने लिखा था.
जयपुर में राज्य स्तरीय समारोह 50,000 लोगों ने वंदे मातरम गाया. मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने तीन रंग के गुब्बारे आसमान में उड़ाकर कार्यक्रम शुरू किया. राजस्थान के इंडियन आइडल 14 के रनर अप रहे पीयूष पावर ने देशभक्ति गीतों पर समां बांधा. कार्यक्रम में केबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी मौजूद थे. कार्यक्रम संयोजक भूपेंद्र सैनी ने बताया कि प्रदेश भर में हर जिला और संभाग मुख्यालय पर कार्यक्रम होंगे. विद्यालयों में राष्ट्रगीत एवं राष्ट्रगान का सामूहिक गायन, निबंध लेखन, चित्रकला, रंगोली प्रतियोगिताएं, एनएसएस का स्वच्छता अभियान व रक्तदान शिविर, स्वतंत्रता सेनानियों व उनके परिजनों का सम्मान और थीम आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. स्कूल, कॉलेज और सामाजिक संस्थाओं की सहभागिता के साथ देशभक्ति के महाअभियान को जन आंदोलन का स्वरूप दिया जा रहा है. एक स्थान, एक समय, एक गीत-वंदे मातरम की थीम पर सामूहिक गायन कार्यक्रम होंगे. इनमें नागरिकों, विद्यार्थियों और स्थानीय संगठनों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. रन, रैली एवं सामूहिक सेवा कार्य के माध्यम से स्वदेशी और राष्ट्रीय एकता का संदेश प्रत्येक गांव तक पहुंचाया जाएगा.