उत्तराखंड: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने “फिलॉसोफी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर हिन्द स्वराज” का विमोचन किया. इस मौके पर उन्होंने पुस्तक में लिखी कई बातों का जिक्र किया. जिससे युवा पीढ़ी सीख लेकर आगे बढ़ सकती है. कार्यक्रम में सीएम धामी ने सरकार की उपलब्धियों का भी बखान किया.
इस मौके पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि साल 1951 में कैथोलिक पादरी फादर एंथोनी द्वारा लिखी गई, पुस्तक “फिलॉसोफी एंड एक्शन ऑफ आरएसएस फॉर हिन्द स्वराज” में ना केवल संघ की विचारधारा, संगठनात्मक संरचना और कार्य पद्धति की जानकारी दी गई है. बल्कि हिंद स्वराज की मूल आत्मा को भी समेकित रूप से समझाने का काम किया है. सीएम धामी ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि ये पुस्तक हमारी आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शुरुआती संघर्षों, त्याग और तपस्या की जानकारी देते हुए उन्हें हमारी वैचारिक परंपरा और कार्यशैली से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी.
सीएम ने कहा कि फादर एंथोनी ने यह पुस्तक उस समय में लिखी जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लेकर समाज में अनेकों प्रकार की भ्रांतियां और गलत धारणाएं फैलाई जा रही थी. उस चुनौतीपूर्ण कालखंड में फादर एंथोनी ने निष्पक्षता और ईमानदारी के साथ लिखा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोई सांप्रदायिक संस्था नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित एक अनुशासित और आध्यात्मिक चेतना का संगठन है. उन्होंने संघ के कार्यकर्ताओं के जीवन में अनुशासन, सेवा, समर्पण और देशभक्ति को निकटता से देखा और दुनिया को अवगत कराया कि ये संगठन भारत के पुनर्निर्माण की वास्तविक आधारशिला है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि फादर एंथोनी ने लिखा कि संघ न केवल हिन्दू धर्म की खोई हुई प्रतिष्ठा को फिर स्थापित करने की दिशा में कार्य कर रहा है, बल्कि समाज में व्याप्त कुप्रथाओं का अंत कर पूरे भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोने के काम में भी जुटा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सौ सालों की यात्रा में भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण, सामाजिक समरसता, आत्मगौरव और राष्ट्रनिष्ठ सेवा की ऐसी दिव्य धारा प्रवाहित की है. सीएम ने कहा कि आद्य सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने जब साल 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी, तब भारत न केवल राजनीतिक दृष्टि से पराधीन था, बल्कि मानसिक, सांस्कृतिक और धार्मिक रूप से भी खंडित हो चुका था.
आज, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपनी सौ वर्षों की तपोमयी यात्रा के जरिए भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण, सामाजिक समरसता, आत्मगौरव और राष्ट्रनिष्ठ सेवा की ऐसी दिव्य धारा प्रवाहित की है, जिसने देश के कोने-कोने में राष्ट्रीय चेतना की अखंड ज्योति प्रज्वलित कर दी है. जो भारत कभी गुलामों वाली मानसिकता से ग्रस्त था, आज अपने सांस्कृतिक मूल्यों, अपनी परंपराओं और अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर गर्व करता है, ये आत्मगौरव संघ की तपस्या का ही परिणाम है. सीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत अपनी सांस्कृतिक चेतना के पुनर्जागरण के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है.
सीएम धामी ने कहा कि हमारी सरकार ने हाल ही में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में श्रीमद्भगवद्गीता के पाठ को अनिवार्य कर एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहल भी शुरू की है. राज्य सरकार ने राज्य में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून की स्थापना करने के उद्देश्य से देश में सबसे पहले “समान नागरिक संहिता” कानून को लागू करने का ऐतिहासिक निर्णय भी लिया है. उन्होंने कहा कि हमारी सरकार देवभूमि उत्तराखंड के सांस्कृतिक मूल्यों और डेमोग्राफी को संरक्षित रखने के प्रति पूर्ण रूप से संकल्पबद्ध है. हमने प्रदेश में एक ओर जहां धर्मांतरण विरोधी और सख्त दंगारोधी कानूनों को लागू किया है. वहीं जिहादी मानसिकताओं के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की है. इसके साथ ही 200 से अधिक अवैध मदरसों को सील करने के साथ ही 500 से अधिक अवैध संरचनाओं को भी हटाया है. सरकार सनातन धर्म को बदनाम करने का षड्यंत्र करने वाले तत्वों के विरुद्ध भी सख्ती से कार्रवाई कर रही है. “ऑपरेशन कालनेमि” के जरिए पाखंडियों पर एक्शन ले रही है.