राजस्थान आवासन मंडल ने छोटे शहरों में 5 योजनाएं लॉन्च कीं, 667 फ्लैट्स और आवास उपलब्ध

आवासन मंडल की अवाप्त भूमि का चिह्नीकरण कराया जा रहा है, जहां भी अतिक्रमण है या न्यायालय में कोई वाद है, उनका जल्द से जल्द निपटारा कर लोगों को बेहतर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी. ये कहना है प्रदेश के यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा का. बुधवार को आवासन मंडल की पांच आवासीय योजनाओं के 667 आवासों का शुभारंभ करते हुए उन्होंने यह बात कही. साथ ही कहा कि प्रदेश की तमाम मेट्रो सिटी के आसपास 60 से 70 किलोमीटर के दायरे में आने वाले कस्बों को जल्द विशेष सुविधाओं के साथ विकसित किया जाएगा.

राजस्थान आवासन मंडल ने अब बड़े शहरों के बजाय उनके आसपास मौजूद छोटे शहरों में आवासीय योजनाएं लॉन्च कर, वहां शहरीकरण की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है. बुधवार को यूडीएच मंत्री ने पनेरिया की मादड़ी जिला उदयपुर, अटरू जिला बारां, नैनवा जिला बूंदी, लंगेरा योजना बाड़मेर और बाड़ी रोड धौलपुर में विभिन्न आय वर्गों के लिए नई आवासीय योजनाएं शुरू कीं. आवासन आयुक्त डॉ. रश्मि शर्मा ने बताया कि इन योजनाओं के अंतर्गत 667 फ्लैट्स और स्वतंत्र आवास दोनों प्रकार के विकल्प उपलब्ध हैं. इससे ईडब्ल्यूएस, एलआईजी और मध्यम आय वर्ग के परिवारों को किफायती, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण आवास उपलब्ध होगा.

  • बूंदी जिले की नैनवा आवासीय योजना, पॉकेट-A एवं पॉकेट-B में विभिन्न आय वर्ग के लिए 72 स्वतंत्र आवास, लागत 7 लाख 80 हजार से शुरू.
  • बारां जिले की अटरू आवासीय योजना में विभिन्न आय वर्ग के लिए 189 स्वतंत्र आवास, लागत 7 लाख 60 हजार से शुरू.
  • बाड़मेर जिले की लंगेरा आवासीय योजना में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी आय वर्ग के लिए 200 स्वतंत्र आवास, लागत 8 लाख 61 हजार से शुरू.
  • धौलपुर जिले की बाड़ी रोड योजना में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी (जी+3) आय वर्ग के लिए 64 फ्लैट्स, लागत 12 लाख 45 हजार से शुरू.
  • उदयपुर जिले की पनेरिया की मादड़ी योजना में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी (जी+3) आय वर्ग के लिए 142 फ्लैट्स, लागत 11 लाख 68 हजार से शुरू.

इन पांच आवासीय योजनाओं को लॉन्च करते हुए यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने कहा कि रोटी, कपड़ा और मकान हर व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकता होती है. मकान के मामले में यदि कोई नियोजित तरीके से आवासीय योजना बसे जिसमें सारी सुविधाएं उपलब्ध हों, तो वह व्यक्ति के जीवन को और बेहतर बनाती है. दुर्भाग्य यह रहा कि अनियोजित तरीके से बहुत सी कॉलोनियां बसीं, उनमें कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हुईं. हालांकि, सरकार लगातार इस दिशा में काम कर रही है कि ऐसी कॉलोनियों में भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें. विकास प्राधिकरण, विकास न्यास, नगरीय निकायों और आवासन मंडल के जरिए नियोजित कॉलोनियां बसाने का प्रयास किया जा रहा है.

यूडीएच मंत्री ने कहा कि अब तक जहां-जहां आवासन मंडल की अवाप्त भूमि है, उनका चिह्नीकरण कराया जा रहा है, जहां भी अतिक्रमण है या न्यायालय में कोई वाद है, कोशिश है कि उनका जल्द से जल्द निपटारा कर लोगों को बेहतर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई जाए. फिलहाल बड़े शहरों के नजदीक छोटे शहरों में पांच आवासीय योजनाएं लाई गई हैं. जल्द ही जयपुर में भी नई आवासीय योजनाएं लॉन्च की जाएंगी. इसी वित्तीय वर्ष में एक के बाद एक प्रदेश में जहां आवास या भूखंडों की आवश्यकता है, उसके अनुरूप आवासीय योजनाएं और भूखंड की योजनाएं लाई जाएंगी.

उन्होंने बताया कि जिस तेजी से बड़े शहरों में आबादी का भार बढ़ रहा है, उसे कम करने के लिए जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर, भरतपुर जैसी मेट्रो सिटीज से 50-60 किलोमीटर के दायरे में मौजूद कस्बों को विकसित किया जाएगा. वहां मेट्रो सिटी से कनेक्ट करते हुए बेहतर यातायात की सुविधा देकर अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि वहां के लोग यदि व्यापार, नौकरी या मजदूरी के लिए आते हैं, तो सुबह निकलकर शाम या रात तक अपने घर वापस पहुंच जाएं. इससे मजदूरों को भी फुटपाथ पर रात नहीं बितानी पड़ेगी और जो पिछले कुछ वर्षों में झुग्गी-झोपड़ियों का चलन बढ़ा है, उससे भी छुटकारा मिल सकेगा. इस संबंध में एक बड़ी परियोजना भारत सरकार के समक्ष पेश की गई है. इसे आगे चलकर एशियन डेवलपमेंट बैंक के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और लगभग 12500 करोड़ रुपये के माध्यम से बहुत से कस्बों का कायाकल्प करने की कार्य योजना बनाई जा रही है.

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