केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक शुरू हो गई है. यह बैठक दो सत्रों में आयोजित की जाएगी, जिसमें पहला सत्र सुबह 11 बजे से 1.45 बजे तक और दूसरा सत्र 4.30 बजे तक चलेगा. जीएसटी काउंसिल की इस बैठक को कई तरह से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इस बैठक में जीएसटी को लेकर आ रही समस्याओं के निस्तारण के अलावा जीएसटी की ऑनलाइन सर्विस को ओर अधिक बेहतर बनाने को लेकर चर्चा होगी. साथ ही कई वस्तुओं के स्लैब में भी परिवर्तन हो सकता है.
जीएसटी में टैक्स स्लैब को अधिकतम 28 प्रतिशत से बढ़ाकर 35 प्रतिशत किए जाने की पूरी संभावना है. ऐसे में कई वस्तुओं का जीएसटी टैक्स बढ़ने के साथ ही कई चीजों के जीएसटी टैक्स में कटौती की जाएगी. व्यापारियों की ओर से हर तीन महीने में भरे जाने वाले रिटर्न में ज्यादा पारदर्शिता लाने पर चर्चा होगी. हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी का स्लैब बदलकर उसे कम करने पर निर्णय संभव है.
5 लाख रुपए तक के हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी माफ करने की संभावना है. हालांकि, 5 लाख से अधिक कवर पर यह लागू नहीं होगा. यह बैठक हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस को बढ़ावा देने और बीमा योजनाओं को किफायती बनाने की दिशा में बड़ा कदम हो सकती है. साथ ही यह प्रस्ताव भारत की कर प्रणाली को और सरल व समावेशी बनाने में मदद करेंगे.
जानकारों के मुताबिक जीएसटी काउंसिल की इस बैठक में प्रीमियम और लग्जरी चीजों के लिए अलग से टैक्स स्लैब बनाया जा सकता है. यह स्लैब 35 फीसदी का हो सकता है. साथ ही इस कैटेगरी में हेल्थ को नुकसान पहुंचाने वाली चीजों को भी शामिल किया जा सकता है. फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म पर जीएसटी को 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने पर भी निर्णय लिया जा सकता है.
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को राजस्थान के जैसलमेर में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (विधानसभा सहित) के वित्त मंत्रियों के साथ बजट पूर्व परामर्श की अध्यक्षता की. इस बैठक में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, गोवा, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर, मेघालय और ओडिशा के मुख्यमंत्री, अरुणाचल प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना के उप मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, मंत्री, वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले और व्यय विभाग के सचिव और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए. इस बैठक में प्रतिभागियों ने वित्त वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट में विचार करने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री को कई बहुमूल्य सुझाव दिए.